Inter Hindi subjective question: जितने भी छात्र नक्षत्र हैं 2024 में एग्जाम देने वाले हैं इंटर का तो आप सभी के लिए महत्वपूर्ण कुछ क्वेश्चन आंसर दिया गया।

Inter Hindi subjective question

Inter Hindi subjective question: जितने भी छात्र नक्षत्र हैं 2024 में एग्जाम देने वाले हैं इंटर का तो आप सभी के लिए महत्वपूर्ण कुछ क्वेश्चन आंसर दिया गया।

1. कवि की स्मृति में घर का ‘चौखट’ इतना जीवित क्यों हैं?

उत्तर–गाँव के घर का चौखट कवि ज्ञानेन्द्रपति की दृष्टि में जीवित है। बचपन की स्मृति मनुष्य को आनंद देती है। बचपन की घटनाएँ वह चाव से याद करता है। इसीलिए कवि गाँव के घर के चौखट को नहीं भूलता। घर के चौखट के बाहर खड़े होकर बड़े-बूढ़े आवश्यक आदेश घर के अंदर के लिए निर्गत करते हैं। घर के अंदर हुकूमत चलती रहती है। किसी की मजाल नहीं कि वह चौखट पर से दिए गए आदेश की अवहेलना कर दे। शहर में अब न तो चौखट रहा और न वह आदेश पालन ही। सभी स्वतंत्र हो गए। सभी स्वछंद हो गए।

2. उत्सव कौन और क्यों मना रहे हैं?

उत्तर- ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता में अशोक वाजपेयी ने कहा है कि राजा जो करता है उसे जनता मान लेती है। उत्सव देश के नागरिक मना रहे हैं। वे विजय दिवस मना रहे हैं। देश की सेना राजा के साथ युद्ध करके लौटी है। नागरिकों को पता नहीं है कि युद्ध जीतकर सेना लौटी है या हारकर ? फिर भी वे उत्सव में शामिल हो रहे हैं।

3. ज्ञानेन्द्रपति ने अपने गाँवों को किस-किस की जन्मभूमि बतलाया है?

उत्तर- ज्ञानेन्द्रपति रचित कविता ‘गाँव का घर’ में गाँव के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है।

गाँव मनुष्य जीवन में ईमानदारी का प्रतीक है। यह परिवार के सदस्यों की साफगोई की भी प्रतीक है। पंचायती राज की जन्मभूमि गाँव है। प्रकाश- बुलौआ की मधुर याद भी गाँव समेटे हुए हैं। गाँव होरी-चैती, बिरहा – आल्हा जैसे लोकगीतों की भी जन्मभूमि है। अब तो गाँव के रीढ़ की हड्डी ही झुरझुरा रही है । गाँव बदल गए हैं। गाँव में शहरों का आगमन हो गया है।

4. बूढ़ा मशकवाला क्या कहता है और क्यों कहता है?

उत्तर-बूढ़ा मशकवाला जो सड़कों पर पानी सींच रहा है, कह रहा। हम एक बार फिर हार गए हैं और गाजे-बाजे के साथ जीत नहीं क लौट रही है। मशाकवाले को यह कहने का अधिकार नहीं है। वह ऐस इसलिए कहता है कि नागरिक जानें। शासक उत्सव मनवा रहे है जनता का विश्वास शासकों पर बना रहे इसलिए उत्सव मना रहे है

5. आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है उत्तर-पहले जब गाँवों में होरी, चैती, बिरहा और आल्हा गाया जा था, तब गानेवालों की आवाज में दम होता था। आवाज दूर-दूर त जाती थी। रोशनी भी दूर-दूर जाती थी क्योंकि यह सब खुले मैदान ।। होता था।

रोशनी की आवाज आर्केस्ट्रा की आवाज है, जो बंद कमरे होती है। इसमें नैतिकता की कमी होती है। इसी कारण रोशनी आवाज जन-जन तक नहीं पहुँचती है।

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6. सर्कस का प्रकाश- बुलौआ किन कारणों से मरा होगा?

उत्तर-सर्कस में आदमी, कामगार और श्रमजीवी अपना करत दिखलाते हैं। अब इनके प्रशंसक और दर्शक नहीं रहे। बहुत जंगली पशु भी अब के सर्कसों में नहीं आते। उनके प्रदर्शन पर रो लगी है। श्रमजीवियों की प्रशंसा कम हो गयी है। नकली आर्केस बजानेवालों को देखने के लिए लोग ज्यादा जाते हैं। गाँव आ मुकदमेबाजी, बीमारी और अशिक्षा ग्रस्त हैं। पता नहीं यह हमा प्रगति है या दुर्गति। यह समय ही बताएगा।

7. ज्वाला कहाँ से उठती है? कवि ने इसे ‘अतिकृद्ध’ क्यों कहा है?

उत्तर- ज्वाला मानस में उठती है। जब ज्वाला भभकती है तो मानस अतिक्रुद्ध हो उठता है। शोषण के खिलाफ शोषित अत्यंत क्रोधित हो उठते हैं। पूँजीपति के खिलाफ शेषित वर्ग गुस्से में आ जाता है।

8. ‘जन-जन का चेहरा एक’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर- प्रगतिशील कवि गजानन माधव मुक्ति बोध’ ने ‘जन-जन का चेहरा एक’ शीर्षक कविता में जन-जन के संघर्ष को वाणी दी है। कवि की दृष्टि और संवेदना वैश्विक और सार्वभौमिक दिखाई पड़ती है। कवि पीड़ित और संघर्षशील जनता का, जो मानवोचित अधिकारों के लिए कर्मरत है, चित्र प्रस्तुत करता है। यह जनता दुनिया के तमाम देशों में संघर्षरत है और अपने कर्म और श्रम से न्याय, शांति, बंधुत्व की दिशा में प्रयासरत है। कवि इन जनता में एक अन्तर्वर्ती एकता देखता है और इस एकता को कविता का कथ्य बनाकर संघर्षकारी संकल्प में प्रेरणा और उत्साह का संचार करता है। कवि शोषण के खिलाफ आवाज उठाता है।

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9. बँधी हुई मुट्ठियों का क्या लक्ष्य है?

उत्तर- जनता की सरकार के खिलाफ और शोषितों की शोषकों के खिलाफ अब मुट्ठी बँध चुकी है। ये जन मुट्ठी बाँधकर निर्णय ले चुके हैं कि शोषकों को इस धरती से हम मार भगाएँगे। इनका लक्ष्य निर्धारित हो चुका है। सावधान, सावधान पूँजीपतियों, सावधान।

10. ‘डरा हुआ मन बेमन जिसका बाजा रोज बजाता है’ यहाँ ‘बेमन’ का क्या अर्थ है?

उत्तर-बिना मन के, बिना श्रद्धा के जनसाधारण को, कामगारों को सत्ताधारी लोगों का गुणगान करना पड़ता है। सामान्य वर्ग सत्ताधारी वर्ग की हाँ में हाँ मिलाता है।

11. समूची दुनिया में जन-जन का युद्ध क्यों चल रहा है?

उत्तर- समूची दुनिया में शोषकों के खिलाफ जन-जन का शेषित से युद्ध चल रहा है। समूची दुनिया पर साम्राज्यवादियों का कब्जा है और जनवादियों की हार हो रही है। अब पूँजीपति अधिक दिनों तक नहीं टिकेंगे। एक दिन जन-जन की जीत होगी ही।

12. पृथ्वी के प्रसार को किन लोगों ने अपनी सेनाओं से गिरफ्तार कर रखा है?

उत्तर- पृथ्वी के प्रसार को साम्राज्यवादियों और पूँजीवादियों की सेनाओं ने गिरफ्तार कर रखा है। उनका हृदय साफ नहीं होता। उनके हृदय में कालापन होता है जन-जन, श्रमजीवी अपने शोषकों को पहचानते हैं। एक दिन श्रमजीवी उनका नाश कर देंगे।

13. चातकी किसके लिए तरसती है?

उत्तर-छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद अपनी कविता ‘तुल कोलाहल कलह में’ कहते हैं कि चातकी स्वाति नक्षत्र के जल के लिए तरसती रहती है। संसार मरुस्थल की आग में झुलसता रहता है। चातकी स्वाति नक्षत्र के एक बूंद, एक-एक बूँद के लिए तरसती रहती है। वह अतृप्त तड़पती रहती है।

14. पुत्र को छीना’ कहने में क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करें।

उत्तर-हिरण के शावक की तरह माँ का बच्चा होता है। उसे अनेक कष्टों से माँ को बचाना पड़ता है। माँ पुत्र के प्रति छौना कहकर असीम प्यार प्रदर्शित करती है।

15. कवयित्री का ‘खिलौना’ क्या है?

उत्तर- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘पुत्र-वियोग’ में उनका खिलौना उसका पुत्र है जो खो गया है। उसके वियोग में कवयित्री तड़पती तरसती रहती है, क्योंकि उनमें एक माँ का हृदय भी है। माँ का हृदय पुत्र के निधन पर विदीर्ण हो उठा है।

16. प्रात नभ की तुलना बहुत नीला शंख से क्यों की गई है?

उत्तर- शंख ध्वनि की तरह नभ भी ध्वनित हो रहा है। पवित्र होता है। प्रातःकालीन आकाश भी दिव्य होता है।

17. ‘राख से लीपा हुआ चौका’ के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है?

उत्तर-आकाश की सुषमा को रसोईघर की सुषमा से कवि जोड़ता है। प्रातःकाल का नभ राख-सी लीपे हुए चौके के समान कुछ नीला-

सा है यहाँ दिव्यता और पवित्रता का भी भाव है।

18. प्राप्त नभ की तुलना बहुत नीला शंख से क्यों की गई है?

उत्तर- प्रयोगशील प्रगतिशील कवि शमशेर बहादुर सिंह ने ‘उषा’ शीर्षक कविता में सूर्योदय के पहले और बाद का मनोरम, मनोहारी और दिव्यतापूर्ण चित्र शब्दों में खींचा है।

प्रातः का नभ नीले आकाश की तरह है और यह ऐसा लग रहा है कि नीला शंख हो। यांख शुद्ध होता है। आशय भी शुद्ध है। शंख बजने पर ईश्वरीय भावनाओं का संचार होता है। आकाश में सूर्योदय का सूर्य आने पर गर्मी फैलती है और पशु-पक्षी ध्वनि करने लगते हैं। मनुष्य भी जाग जाते हैं।

19. ‘लाल केसर’ और ‘लाल खड़िया चाक’ किसके लिए प्रयुक्त है?

उत्तर-आकाश की सुषमा का वर्णन कवि लाल केसर के सहारे करता है। ‘लाल खड़िया चाक’ की भी उपमा उसी सौन्दर्य के बखान के लिए दी गयी है।

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